सपा-कांग्रेस गठबंधन: यूपी उपचुनाव में सीट बंटवारे की जटिलता |
लखनऊ, 23 अक्टूबर 2024: उत्तर प्रदेश विधानसभा उपचुनाव के लिए सपा और कांग्रेस के बीच सीटों के बंटवारे पर मंथन जारी है। सपा ने अब तक सात सीटों पर अपने उम्मीदवारों के नाम घोषित किए हैं, जबकि खैर, गाजियाबाद और कुंदरकी सीट पर प्रत्याशियों की घोषणा अभी बाकी है। कांग्रेस ने केंद्रीय नेतृत्व को पांच सीटों पर अपनी दावेदारी का प्रस्ताव भेजा था, लेकिन सपा ने केवल खैर और गाजियाबाद सीटें कांग्रेस को देने पर सहमति जताई है।
उपचुनाव में खींचतान
कांग्रेस खैर और गाजियाबाद सीट पर उम्मीदवार उतारने के पक्ष में नहीं है, जबकि सपा फूलपुर सीट भी कांग्रेस को देने पर विचार कर रही है। दोनों दलों के नेताओं ने पहले ही स्पष्ट किया था कि वे गठबंधन में उपचुनाव लड़ेंगे। इस बीच, दिल्ली में एक बैठक बुलाई गई है, जिसमें कांग्रेस प्रदेश प्रभारी अविनाश पांडे और प्रदेश अध्यक्ष अजय राय शामिल होंगे। नामांकन की अंतिम तिथि 25 अक्टूबर है, और उपचुनाव में नौ विधानसभा सीटों पर मतदान होगा।
सपा के नामांकित उम्मीदवार
सपा ने जिन सात सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा की है, उनमें से खैर, गाजियाबाद और कुंदरकी पर अभी नाम तय नहीं हुए हैं। कांग्रेस ने फूलपुर और मझवां सीट पर भी दावेदारी जताई थी, लेकिन अभी तक सपा से इस पर कोई संकेत नहीं मिला है। कांग्रेस का एकमात्र लक्ष्य भाजपा को हराना है, और उन्होंने संकेत दिया है कि वे सभी सीटें सपा के लिए छोड़ने के लिए तैयार हैं।
एनडीए में भी संकट
उधर, एनडीए में भी विधानसभा उपचुनाव के लिए सीटों के बंटवारे को लेकर पेंच फंसा हुआ है। निषाद पार्टी के अध्यक्ष संजय निषाद ने मझवां और कटेहरी सीटों पर उम्मीदवार उतारने के लिए भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात की। उनके अनुसार, भाजपा के अन्य शीर्ष नेताओं के साथ भी उनकी चर्चा हुई है, जिसके बाद भाजपा के उम्मीदवारों की सूची जारी होने की संभावना है।
उपचुनाव की तस्वीर स्पष्ट नहीं हो पाई है
इस बीच, सपा और कांग्रेस के बीच सीटों के बंटवारे की खींचतान से उपचुनाव की तस्वीर स्पष्ट नहीं हो पाई है। दोनों दलों के नेता एकजुट होकर भाजपा को चुनौती देने की दिशा में आगे बढ़ने के लिए प्रयासरत हैं। आने वाले दिनों में दिल्ली की बैठक के परिणाम के बाद ही स्थिति स्पष्ट होगी, जिससे उपचुनाव की दिशा तय हो सकेगी। इन राजनीतिक उलझनों के बीच, सभी की निगाहें अब गठबंधन की आगामी रणनीति और उम्मीदवारों की घोषणा पर टिकी हैं, जो उत्तर प्रदेश की राजनीतिक तस्वीर को प्रभावित कर सकती हैं।