उमर अब्दुल्ला बने जम्मू-कश्मीर के पहले मुख्यमंत्री: नई उम्मीदों का आगाज |
16 अक्टूबर 2024: उमर अब्दुल्ला ने आज जम्मू-कश्मीर के केंद्र शासित प्रदेश का पहला मुख्यमंत्री पद संभाला। यह कदम 2019 में अनुच्छेद 370 के निरस्तीकरण के बाद पहली बार निर्वाचित सरकार के गठन को दर्शाता है, जिससे लोगों में नई उम्मीदें जाग्रत हुई हैं।
शपथ ग्रहण समारोह
उमर अब्दुल्ला ने शपथ ग्रहण समारोह से पहले नेशनल कॉन्फ्रेंस (नेकां) के संस्थापक शेख मुहम्मद अब्दुल्ला के स्मारक पर श्रद्धांजलि अर्पित की। समारोह में उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने उन्हें और उनके मंत्रियों को पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई। समारोह में सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए थे, जिसमें प्रमुख राजनीतिक हस्तियों ने भाग लिया, जैसे कि डॉ. फारूक अब्दुल्ला, राहुल गांधी, प्रियंका गांधी वाड्रा, अखिलेश यादव और अन्य।
राजनीतिक गठबंधन और चुनौतियाँ
उमर अब्दुल्ला की नेशनल कॉन्फ्रेंस ने कांग्रेस के साथ मिलकर विधानसभा चुनाव लड़ा, लेकिन कांग्रेस ने सरकार में शामिल नहीं होने का निर्णय लिया। इसकी वजह यह है कि कांग्रेस जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल करने की मांग कर रही है। उमर अब्दुल्ला ने कहा है कि वह इस मुद्दे पर काम करने के लिए तैयार हैं।
नई मंत्रिमंडल की घोषणा
उमर अब्दुल्ला के मंत्रिमंडल में जावेद राणा, जावेद अहमद डार, सतीश शर्मा, सुरिंदर चौधरी और सकीन इतू शामिल हैं। सुरिंदर चौधरी को उपमुख्यमंत्री बनाया गया है। मंत्रिमंडल गठन के बाद, उमर अब्दुल्ला ने कहा कि उनकी प्राथमिकता लोगों की समस्याओं का समाधान करना और भारत सरकार के साथ सहयोग करना है।
जनता की अपेक्षाएँ
10 साल बाद जम्मू-कश्मीर में एक निर्वाचित सरकार के गठन से जनता में उम्मीदें बढ़ी हैं। यह देखना होगा कि नई सरकार जन अपेक्षाओं पर कितनी खरी उतरती है। उमर अब्दुल्ला ने लोगों के मुद्दों पर ध्यान देने का आश्वासन दिया है और कहा है कि उनका मुख्य उद्देश्य जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा वापस दिलाना है।
उमर अब्दुल्ला का मुख्यमंत्री बनना एक महत्वपूर्ण क्षण है, जो जम्मू-कश्मीर के राजनीतिक इतिहास में एक नई दिशा का संकेत देता है। उनका नेतृत्व ऐसे समय में हो रहा है जब प्रदेश को स्थिरता और विकास की आवश्यकता है। यह देखने योग्य होगा कि वे कैसे अपने वादों को पूरा करते हैं और लोगों की उम्मीदों पर खरे उतरते हैं।