Lucknow, बहराइच में दुर्गा पूजा के जुलूस के दौरान हुई हिंसा के संदर्भ में मुठभेड़ में दो आरोपियों को मारने की घटना ने राजनीति का नया मोड़ ले लिया है। समाजवादी पार्टी (सपा) प्रमुख अखिलेश यादव और अन्य विपक्षी दलों ने योगी सरकार पर गंभीर सवाल उठाए हैं, जो इस घटना को प्रशासनिक विफलता के रूप में देख रहे हैं।
घटना का संक्षिप्त विवरण
13 अक्टूबर को दुर्गा पूजा जुलूस के दौरान 22 वर्षीय राम गोपाल मिश्रा की हत्या के दो आरोपियों सरफराज और तालीम को पुलिस ने उस समय गोली मारी जब वे नेपाल भागने की कोशिश कर रहे थे। यह मुठभेड़ बहराइच के हांडा बसेहरी इलाके में हुई। पुलिस ने बताया कि इस मामले में पांच लोगों को गिरफ्तार किया गया है, जिनमें से दो पुलिस की गोलीबारी में घायल हुए हैं।
अखिलेश यादव का बयान
अखिलेश यादव ने कहा कि उत्तर प्रदेश में लगातार इस प्रकार की घटनाएं हो रही हैं, जो सरकार की नाकामी को दर्शाती हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार अपनी विफलता छिपाने के लिए एनकाउंटर कर रही है। "अगर एनकाउंटर से कानून-व्यवस्था में सुधार होता, तो उत्तर प्रदेश आज अन्य राज्यों से बेहतर स्थिति में होता," उन्होंने कहा।
यादव ने प्रशासन की विफलता पर भी सवाल उठाते हुए कहा, "जब पुलिस को कार्यक्रम की जानकारी थी, तो फिर वह इसे शांतिपूर्वक क्यों नहीं संपन्न करा सकी? एनकाउंटर करना और नफरत को बढ़ावा देना इस सरकार की नई कार्यशैली है। यह न्याय व्यवस्था की कहां की स्थिति है?"
कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों की प्रतिक्रियाएं
कांग्रेस सांसद इमरान मसूद ने भी अपनी चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि दंगाइयों को सजा मिलनी चाहिए और यह जरूरी है कि ऐसे मामलों में सभी पक्षों के खिलाफ कार्रवाई की जाए। उन्होंने यह भी जोड़ा कि दंगों में शामिल लोगों को धर्म से जोड़ना उचित नहीं है।
सपा नेता रविदास मेहरोत्रा ने कहा कि बहराइच में हुई हिंसा, आगजनी और लूट-पाट के लिए पुलिस और प्रशासन की पूरी जिम्मेदारी है। "पुलिस ने कई घंटों तक वहां कार्रवाई नहीं की और दंगा भड़क गया," उन्होंने आरोप लगाया।
कांग्रेस नेता सुप्रिया श्रीनेत ने उत्तर प्रदेश में कानून-व्यवस्था की स्थिति को बुरी बताते हुए कहा कि "जिस प्रदेश में ADG कानून-व्यवस्था को दंगा होने के 48 घंटे बाद बंदूक लेकर सड़कों पर चलना पड़े, वहां की स्थिति क्या होगी, यह समझा जा सकता है।"
निष्कर्ष
बहराइच में हुई यह घटना न केवल एक स्थानीय मुद्दा है, बल्कि यह उत्तर प्रदेश की राजनीतिक और प्रशासनिक व्यवस्था की एक बड़ी परीक्षा भी है। विपक्षी दलों के सवाल उठाने से साफ है कि उन्हें इस सरकार की कार्यशैली पर गंभीर संदेह है। योगी सरकार को इस मामले में अपनी स्थिति स्पष्ट करनी होगी, अन्यथा यह मामला उनके लिए और भी जटिल बन सकता है।
बहराइच की घटना ने राज्य में कानून-व्यवस्था के हालात पर फिर से चर्चा शुरू कर दी है, और यह देखना दिलचस्प होगा कि योगी सरकार इस पर कैसे प्रतिक्रिया देती है।