प्रदेश की 7500 छात्राएं बनेंगी एक दिन की अधिकारी

प्रदेश की 7500 छात्राएं बनेंगी एक दिन की अधिकारी

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मिशन शक्ति 5.0 के तहत परिषदीय व केजीबीवी की बेटियों को मिलेगा अनूठा अवसर

इस पहल के तहत प्रत्येक जनपद से 100-100 बालिकाएं चुनी जाएंगी, जो ब्लॉक, तहसील, जिला और मंडल स्तर पर एक दिन की अधिकारी बनेंगी। यह पहल प्रदेश की बेटियों को प्रशासनिक जिम्मेदारियों का अनुभव देने, निपुणता और नेतृत्व क्षमता का विकास करने के लिए महत्वपूर्ण है। हर वर्ग, जाति और श्रेणी की बालिकाओं को एक दिन का अधिकारी बनने का अवसर मिलेगा।

पहल का उद्देश्य

इससे पूर्व कासगंज की टॉपर कुमारी भूमिका और संभल की शालू एक दिन की डीएम बन चुकी हैं। इसी प्रकार, सीडीओ, डीआईओएस, बीएसए और खंड विकास अधिकारी जैसे पदों पर भी बेटियां कार्य कर चुकी हैं।

बेटियों के सशक्तिकरण की दिशा में एक कदम

लखनऊ, 08 अक्टूबर। योगी सरकार के मिशन शक्ति 5.0 अभियान को बल देने के लिए बेसिक शिक्षा विभाग ने यह महत्वपूर्ण पहल की है। प्रदेश की परिषदीय और कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालयों (केजीबीवी) की छात्राओं को प्रशासनिक कार्यों और जिम्मेदारियों से अवगत कराने के साथ-साथ उनमें आत्मविश्वास और नेतृत्व क्षमता का विकास करने के लिए उन्हें एक दिन का अधिकारी नियुक्त किया जाएगा। कुल 7500 बेटियों को यह अवसर मिलेगा।

लीडरशिप के गुणों का विकास

बेसिक शिक्षा मंत्री संदीप सिंह ने बताया कि इस योजना का उद्देश्य बालिकाओं को प्रशासनिक जिम्मेदारियों का अनुभव देना और उनके आत्मविश्वास व नेतृत्व गुणों का विकास करना है। चयनित बालिकाएं डीएम, सीडीओ, बीएसए, खंड विकास अधिकारी, तहसीलदार, डीआईओएस जैसे पदों पर एक दिन के लिए कार्य करेंगी।

लोगों की समस्याओं का समाधान

चुनी गई बालिकाएं एक दिन के लिए सरकारी अधिकारियों की भूमिका निभाएंगी। वे न सिर्फ लोगों की समस्याओं की सुनवाई करेंगी, बल्कि उनके निस्तारण में भी सक्रिय भागीदारी निभाएंगी। यह अनुभव उनके निर्णय लेने की क्षमता और सामर्थ्य को निखारने में मदद करेगा।

अग्रणी छात्राएं

मुख्यमंत्री के आदेश के बाद, संभल जिले की शालू और कासगंज की कुमारी भूमिका को एक दिन के लिए जिलाधिकारी बनाया गया था। शालू ने मिशन शक्ति की बैठक का संचालन किया, जबकि भूमिका ने जनसमस्याओं की सुनवाई की। इसी प्रकार, चित्रकूट की मनोरमा पटेल को एक दिन के लिए डीआईओएस बनाया गया था, जिन्होंने अधिकारियों की जिम्मेदारियों को बखूबी निभाया।

यह पहल न केवल बेटियों को आत्मनिर्भर बनाने में मदद करेगी, बल्कि समाज में उनके योगदान को भी बढ़ावा देगी।

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